खुद को पाया है रौद्र रूप भी धारण करती प्रकृति के बारे में उपकार को पिंजरे प्रकृति सीता जननी समान ही प्रकृति बचाना है कोरोना को है हराना एक दूजे के हैं पूरक बच्चों में जगाना है सजाता है शुभता का सतत् योग करके प्रकृति की सुंदरता प्रकृति को समझिए प्रकृति क्या है प्रकृति प्रेम क्या है प्रकृति

Hindi प्रकृति को अक्षुण्ण बनाना है Poems